मनोज जी की इस रचना में नदी के किनारे पर वट वृक्ष बनने की आकांक्षा कवि की है वह किसी वैयक्तिक सुख के लिए नहीं बल्कि पक्षियों को आश्रय देने की चाह के लिए है ... कवि जन सामान्य की चिन्ता करता है और उनके सामान्य कष्ट दूर करने की आकांक्षा रखता है....रचना का यह कथ्य उसे नवगीत के पाले में लाकर खड़ा कर देता है.....
-डा० जगदीश व्योम
July 9 at 8:22pm
 
 
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