माहेशवर तिवारी जी के साक्षात्कारः में अगर ध्यान से मनन करें तो उनकी मन की सहजता का भी पता लगता है ! असल में माहेशवर जी के अन्दर एक सहज गीतकार भी है जो संवेदना एवं गीत के भावात्मक पक्ष से भी जुड़ा है ! उनके साक्षात्कारः में उनका यह पक्ष साफ़ दृष्टिगोचर होता है ! पूरी प्रस्तुति को नवगीत की कसौटी पर ही कैसे देखें?
-के के भसीन
August 24 at 11:46pm
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