जब महेश्वर जी कहते हैं कि खाली जगह को कोई भरता है और वह कोई कौन है उसका भी उन्होंने संकेत किया - "कोई न कोई भांड़, विदूषक या नौटंकीबाज वहाँ काबिज हो जायेगा।" यानी कि वह स्वयं मंचों पर जाते हैं और वहां खाली जगह को भरने में तिवारी जी के साथ 'भांड़, विदूषक या नौटंकीबाज' मौजूद रहते होंगे। क्या महेश्वर जी ने उक्त लोगों का कभी प्रतिरोध किया- किसी मंच पर? क्या उन्होंने मंच पर कभी गंभीर कवियों की उपस्थिति बढ़ाने का प्रयास किया? या सिर्फ मंच शेयर करते रहे और उक्त श्रेणी से दोस्ती भी गांठे रहे ? यह दोहरा आचरण तो नहीं ?
-अवनीश सिंह चौहान
August 25 at 6:51am
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