तीनों नवगीत दशकों के 30 नवगीतकारों में से आधो का नाम भी लोगों को शायद न मालूम हो। शुक्ल जी सही कह रहे हैं,गीत अपने आप में कठिन साधना है और नवगीत आधुनिक समय में उस कठिन साधना के परिणाम स्वरूप उपजा नवनीत है।..अब आज के कवियों में शब्द छन्द रस अर्थ बोध के स्तर तक पहुंचने का अवकाश नहीं बचा है। युगीन सत्य को गीत में उतार पाना किसी समय में कतई सहज नहीं रहा।..हम आज कम पढ़ने वाले ज्यादा कहने वाले मंच गोंचने वाले मित्रों से रूबरू हैं और इस अकविता के नए युग में खड़े हैं।
-भारतेन्दु मिश्र
July 4 at 7:08pm
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