Sunday, September 27, 2015

माहेश्वर तिवारी का साक्षात्कार

निश्चित रूप से दुकानदारी को प्रोत्साहित करने का प्रयास है। मंच से जुड़ाव के पीछे पैसे का लालच ही काम करता है भले ही तुर्रा जनता से जुड़ाव का हो। मुझे समझ नहीं आता मंच पर बैठे नशे में टुन्न ये महान साहित्यकार संगीत के आठवें सुर के सहारे कौन सी जनता से कैसा संवाद स्थापित करना चाहते हैं।

-ब्रजेश नीरज
August 25 at 8:18pm 

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