गीत में कोई दलित पात्र है ऐसी तो कहीं कोई बात नहीं कही गई है ।हाँ यह जरूर बताया गया है कि सत्ता का नशा और अधिकार सुख बड़ा ही मादक होता है येन केन प्रकारेण उसे पाकर यह दो टाँग का आदमी नामक जानवर मानवता के प्रति कितना हिंसक और अवमूल्यित हो जाता है यह पढ़े लिखे और अनपढ़ किसी से छिपा नहीं यह मद ही समाज में फैली अधिकां अव्यवस्थाओं की जड़ है और इस मद का समर्थक है निपोटिज्म।यह मद अगड़े पिछड़े दलित के विषय में सर्वथा अनभिज्ञ होता है ।हाँ यह मद शंकर गौतम बुद्ध महावीर स्वामी कबीर महात्मा गाँधी लालबहादुर शास्त्री पर नहीं सवार हुआ ।सबसे अधिक मदमस्त था देवराज इंद्र ।और आज हर गली कूंचे में इंद्र की औलादें घूम रही हैं ।
-ब्रजनाथ श्रीवास्तव
July 20 at 8:09am
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