पर सच्चे रचनाकार हैं कितने?जाति धर्म से परे होना इतना आसान है क्या?गीत में एक दलित पात्र को जिस तरह सम्बोधित किया गया है क्या किसी सवर्ण को भी ऐसे ही सम्बोधित किया है? मैं कहता हूं सारे रचनाकार जातिवादी हैं।जो होते हुए भी नहीं मानते हैं वे पाखंडी हैं।पाखंडी होना ही सबसे बुरा है।
-रमाकान्त यादव
July 19 at 7:56pm
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