एक बात जो मेरे मन में आ रही है कि कोई अच्छा गीत/नवगीत पाँच दशक या और भी अधिक समय तक अपरिचित बना रहता है यदि उसके रचनाकार को कोई बड़ा पुरस्कार नहीं मिल पाता है अथवा आलोचना के मठाधीशों की कृपा नहीं होती .....
दूसरी बात यह कि यदि कोई गीत/नवगीत प्रभावशाली है तो वह कभी न कभी पाठकों की पसंद बन ही जाता है.... गीत का रचनाकार कौन है यह जाने बिना भी..... इस रचना को बिना नाम के होने पर भी नवगीत के वरिष्ठ रचनाकारों ने भरपूर सराहा बिना यह जाने कि यह किसका लिखा हुआ है ..... इस बहाने एक भूला बिसरा नवगीत चर्चा में आ सका... आप सभी का आभार......
यह रचना " विश्वनाथ राघव " की है, " धरती के गीत" संग्रह में 1959 में प्रकाशित।
-जगदीश व्योम
July 3 at 5:26am
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