मैंने इस गीत/नवगीत का मुखड़ा शायद किसी नवगीत संकलन की भूमिका में पढ़ा था, पर इसके बारे में पूर्व में क्या कहा गया है, से परिचित नहीं हूँ। मुखड़े में भी रचनाकार समय का कौन सा प्रसंग व्यक्त कर रहा है, कम से कम मैं समझने में असमर्थ हूँ। "'भीलों ने बाँट लिए वन"' अब सरसरी तौर पर तो यही लगता है, भील तो वनों में रहते हैं, तो वन के वे सहज उत्तराधिकारी हैं, अगर उन्होने बाँट भी लिए तो क्या। आगे अंतरों में राजतंत्र के बदचलन होने का जिक्र है, फलस्वरूप सत्ता हाथ से जाने का जिक्र है, पर "'छत्र-मुकुट चोर ले गये"' अगर राज्य क्रांति भी हुई तो क्रांतिधर्मा तो नायक हुए, चोर कैसे हो गए। पर इस गीत में किस्सागोई है और लय प्रभावित करती है। यह भी की इतना सब कुछ हो गया और राजा को खबर तक न हुई।
-रामशंकर वर्मा
July 13 at 4:01pm
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